Meaning of gout in hindi

Meaning of gout in hindi

Meaning of gout in hindi – आज हम गाउट के बारे में जानकारी लेंगे। gout एक जोड़ों से संबंधित बीमारी है। जैसे कि simple arthritis, रूमेटाइड अर्थराइटिस , जोड़ घीस पीस जाना, अर्थराइटिस, जोड़ सूज जाना, दुखना । लेकिन गाउट और जोड़ों की दूसरी बीमारियों में बहुत ज्यादा अंतर है।

तो आज हम गाऊट के बारे में पूरी तरह से जानकारी लेंगे और साइंटिफिक जानकारी लेंगे । gout के प्रकार कौन-कौन से हैं? गाऊट के लक्षण कौन-कौन से हैं? उसका डायग्नोसिस, गठिया रोग की पहचान और गाउट की पूरी तरह से ट्रीटमेंट। gout types and symptoms in hindi । meaning of gout in hindi ।

What is meaning of gout in hindi

पहले हम देखेंगे कि एक्चुअल में गाउट क्या है । गाउट एक क्रिस्टल डिपोजिशन डिसीज हैं। उस में यूरिक एसिड और कैल्शियम के क्रिस्टल मुख्य रूप से संचित होते हैं। यह क्रिस्टल्स कहां-कहां डिपाजिट होते हैं? तो जो जोड़ होते हैं जॉइंट होते हैं , उसके अंदर कनेक्टिव टिशु और cartilage होता है। उसमें से जाकर वह संचित होते हैं।

यह सबसे पहले पैरों के जॉइंट को अटैक करता है । और खासकर छोटे-छोटे जॉइंट्स । इसका सबसे पहला टारगेट होता है पैरों के अंगूठे का पहला जॉइंट। जब बीमारी बढ़ती जाती है तब वह हाथों के जोड़ों पर आ जाता है । उसके बाद बड़े-बड़े जॉइंट इसके चपेट में आ जाते हैं।

यह बीमारी में सबसे ज्यादा पुरुषों पर असर करती है। समझो 10 पेशंट अगर गाउट के हो तो, उसमें से 9 पेशंट पुरुष होते हैं और सिर्फ एक ही महिला होती हैं। इसके कुछ कौमन साइड है जैसे कि पैर का अंगूठा का पहला जॉइंट, हाथों और पैरों की उंगलियां, कलाई और कोहनी। इस पर यह ज्यादा पाया जाता है।

इसका कारण । symptoms of gout ।

किडनी खराब होना , किडनी फैलियर , किडनी का काम कम करना। यह सबसे महत्वपूर्ण कारण है । किडनी खराब होने के बाद यूरिक एसिड का एक्स्क्रेशन excretion कम हो जाता है । इसी वजह से वह ब्लड में यूरिक एसिड की लेवल बढ़ जाती है। और वह जोड़ों में जाकर संचित होने लगता है।

अर्थराइटिस – अगर जोड़ घिस पीस गए हो , जोड़ों पर आघात हुआ हो तब भी उसमें क्रिस्टल जमा होते हैं। क्रॉनिक diuretic थेरेपी अगर बहुत सालों तक, यानी मुत्रल औषधियों पर हो। उस में गाउट होने के चांस ज्यादा होते हैं।

कुछ लोग bear ज्यादा मात्रा में सेवन करते हैं । BEAR में क्रिस्टल होते है । अंत का कारण है हेरेडिटरी यानी अनुवांशिक । इसका मतलब यह बीमारी फैमिलीज में पाई जाती है । दादा जी इससे पिताजी को पिताजी से आपको ऐसा ।

गठिया रोग के प्रकार और लक्षण

Acute gout – अगर पहली बार यह बीमारी किसी को होती है , तो उसे उसमें ज्यादातर एक ही जोड़ दुखता है । वह है अंगूठे का पहला जॉइंट । यह बहुत ही ज्यादा दुखता है । इतना ज्यादा दुखता है कि पेशेंट बोलता है की इतना दर्द मैंने जिंदगी में कभी सहन नहीं किया ।

यह खासकर दर्द सुबह को शुरू होता है और 2 से 4 घंटे में ही बहुत ज्यादा दुखने लगता है । यह जॉइंट पूरा सूज जाता है और पूरा लाल दिखने लगता है । यह सेल्फ लिमिटिंग भी होती है। कंडीशन इसका मतलब है 10 से 14 दिन में अपने आप में ठीक हो जाती है।

Recurrent gout – पहला एपिसोड अटैक आने के बाद 1 साल के बाद दूसरा अटैक आता है । अटैक मतलब जॉइंट दुखना और लाल होना। बाद में छे- 8 महीने के बाद दूसरा तीसरा चौथा ऐसा अटैक आते ही रहते हैं । लेकिन उसमें एक कैरेक्टर स्टिक characteristic sign साइन होता है , कि हर दूसरे तीसरे अटैक के बाद उसका लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगता है । इसका मतलब दूसरे से तीसरे में कम दुखता है , तीसरे से चौथे में कम दुखता है।

Chronic gout – एक्यूट गाउट से 10 साल के बाद क्रॉनिक गाउट होता है । 10 साल में यूरिक एसिड क्रिस्टल्स जोड़ों में जमा हो जाते हैं और वह क्रॉनिक गाउट हो जाता है। इसमें हाथ पैरों की उंगलियां कलाई और कोहनी पर नोड्यूल्स यानी गांठ तैयार होती है। यूरिक एसिड क्रिस्टल्स की वजह से इसका कलर सफेद पड़ जाता है । कुछ केस में गाठें फुटकर उसमें से क्रिस्टल्स और पानी बाहर आता है।

Diagnosis of gout । गठिया रोग की पहचान।

डॉक्टर कैसे पता लगाते हैं आपको गाउट है कि नहीं ? सबसे पहले तो जो गांठ होती है उसमें नीडल एस्पिरेशन करते हैं । इसमें से गांठ में नीडल डालकर अंदर का मटेरियल निकाल लेते हैं। और उस को जांच के लिए भेजा जाता है। अगर उसमें यूरिक एसिड और कैल्शियम क्रिस्टल पाए जाते हो जाते हैं तो diagnosis क्लियर हो जाता है ।

इसके लिए ब्लड टेस्ट और urine टेस्ट भी किया जाता है । ब्लड में और यूरिन में अगर यूरिक एसिड की मात्रा और कैल्शियम की मात्रा बढ़ गई हो तभी डायग्नोसिस कंफर्म होता है ।

Treatment of gout in hindi

एक्यूट अटैक मैं सीवियर पेन और स्वेलिंग कंट्रोल करने के लिए पेन किलर और स्टेरॉइड इंजेक्शन दिया जाता है।

लॉन्ग टर्म मैनेजमेंट के लिए टैबलेट जाइलोरिक t. Zyloric 100-300mg एमजी रोज सुबह । कंटेंट है ऐलोपुरिनल allopurinol । रोज 100 एमजी से 300mg तक dose दी जाती है । यह सबसे बेस्ट और सबसे कारगर ट्रीटमेंट है। यह ब्लड में से यूरिक एसिड का लेवल कम करती है लेकिन यह ट्रीटमेंट कुछ लोगों को जिंदगी भर लेने पड़ते हैं।

क्रॉनिक गाउट में नोड्यूल्स और गांठ कम करने के लिए एक्सप्रेशन एंड इंट्रा आर्टिकुलर स्टेरॉइड इंजेक्शन aspiration and intraarticular steroid injection दिए जाते हैं । इसमें गांठ के अंदर की क्रिस्टल्स नीडल से पूरी तरह से ड्रेन किए जाते हैं । उसमें स्टेरॉयड इंजेक्शन दिया जाता है । इससे क्या होता है कि joint की स्वेलिंग, दर्द कम होता है। धीरे-धीरे गांठ आकार में कम होने लगती है।

Meaning of gout in hindi । hyperthyroidism in hindi ।

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