Root canal treatment in hindi

Root canal treatment in hindi

Root canal treatment in hindi – दांत का दर्द होना बहुत ही आम बात है। दांतों की सड़न, मसूड़ों की सूजन आना यह प्रॉब्लम हर एक की जिंदगी में कभी ना कभी तो आता ही आता है। तो हम सब दातों के डॉक्टर के पास दिखाने के लिए जाते हैं। डॉक्टर चेक करने के बाद बहुत सारे पेशेंट को रूट कनाल करने की सलाह देते।

बहुत सारे लोगों के मन में यह प्रश्न आता है कि रूट कैनाल ट्रीटमेंट कब करना चाहिए । यह कैसे करते हैं? कितनी बार डॉक्टर के पास जाना पड़ता है ? और रूट कैनाल ट्रीटमेंट में खर्चा कितना आता है ? तो आज मैं आपको इन्हीं सब सवालों के जवाब दूंगा। root canal treatment in hindi । रूट कैनाल के बारे में आपको पूरी और साइंटिफिक जानकारी दूंगा।

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दांत के भाग

अब हम पहले दांत किन किन भागों से बना हुआ होता है यह देखेंगे। दांत के मुख्य रूप से 3 भाग होते हैं । पहला है इनेमल यानी क्रॉउन ।यह सबसे ऊपरी परत होती है जो हमें आंखों से दिखती है। यह दांत का सबसे कठिन भाग होता है ।

दूसरा भाग हे डेंटिंन , dentin । यह बीच का हिस्सा होता है। और दांत में से सबसे ज्यादा हिस्सा इसी का भाग होता है। यह थोड़ा सा कम कठिन भाग होता है ।और तीसरा भाग पल्प pulp, यानी सबसे भीतर का हिस्सा। यह सबसे सॉफ्ट होता है । इसमें ब्लड वेसल्स और कनेक्टिव टिशूज पाए जाते हैं। इसमें nerve supply होता है।

जब सड़न सिर्फ इनेमल तक होती है तब रूट कैनाल करने की आवश्यकता नहीं होती। सिर्फ सड़न का भाग निकालकर चांदी, या फिर सीमेंट भरने से काम हो जाता है । पर सड़न dentin के भीतर हो या फिर पल्प pulp तक पहुंच गई हो तो रूट कनाल करना अनिवार्य हो जाता है।

Root canal treatment in hindi cost

तो सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न, खर्चा कितना आता है ? रूट कैनाल करने के लिए इंडिया में 4000 से 5000 ₹ तक का खर्चा आ सकता है । कैप दो प्रकार की होती है एक स्टील की और दूसरी सेरेमिक। स्टील की सस्ती होती और सेरेमिक की महंगी । लेकिन आपको सिरेमिक की ही कॅप बिठा नी चाहिए। सिरामिक की कैप दांत की जेसी ही दिखती है। और बहुत लंबी टिकाऊ है । स्टील की कॅप अलग दिखती है और बहुत सालों तक भी नहीं टिक पाती ।

Rct treatment in hindi procedure । रूट कैनाल प्रोसेस

इसके कुल 4 सेटिंग्स होते हैं । यानी कि 4 बार आपको डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा। पहले दिन डॉक्टर आपको अनास्टेसिया anaesthesia देते हैं। जिधर का दांत दुख रहा है उसके ऊपर के मसूड़ों में anaesthesia दिया जाता है ।

10 मिनट तक रुकते हैं । क्योंकि 10 मिनट लगते एनएसथीसिया यानी कि भूल पूरी होने में । उसके बाद मशीन से दाँतो पूरी सड़क साफ की जाती है। डाक्टर आपको सोडियम हाइपोक्लोराइट का पानी बार-बार मुंह साफ करने के लिए देंगे। यह पानी एंटीसेप्टिक होता है।

उसके बाद मशीन से pulpपल्प का पूरा भाग निकालना होता है। पहले इनेमल का थोड़ा सा और डेंटिन का का थोड़ा सा ही भाग निकाला जाता है। उसके बाद pulp का पूरा ही भाग निकाला जाता है । nerve और ब्लड सप्लाई पूरी निकाले जाते हैं ।

इससे दांत दुखना पूरी तरह से बंद हो जाता है। दांत में 1 गड्ढा बन जाता है। वह टेंपरेरी फिलिंग मैटेरियल से भर दिया जाता है । इसके लिए गुप्ता पर्चा gotta percha नाम का नेचुरल फिलिंग मैटेरियल आता है। इसका इस्तेमाल किया जाता है।

इसके बाद छह सात घंटों तक आपको कुछ भी नहीं खाना होता है। रात को केवल राइस यानी सॉफ्ट डाइट ही खाना चाहिए । डॉक्टर आपको 5 दिन का एंटीबायोटिक का कोर्स लिख कर देंगे । उसके बाद आपको 5 दिन बाद दूसरे सेटिंग के लिए बुलाएंगे।

दूसरी बार डॉक्टर आप को बिठाया हुआ टेंपरेरी फिलिंग मैटेरियल निकाल लेंगे। और उसमें सीमेंट भरेंगे। सीमेंट सूखने में 3 से 4 घंटे लगते हैं। इसी बीच आपको कुछ भी नहीं खाना है । शाम को सिर्फ राइस और सॉफ्ट डाइट ही लेना है।

Cap ke prakar

तीसरी सेटिंग के लिए डॉक्टर आपको चार-पांच दिन के बाद बुलाएंगे। तब आपको जो कैप बिठाने वाली है उसका का नाप लिया जाएगा। तो आपको सिरामिक की ही cap बिठानी है। steel कि cap नहीं बिठा नी। उसके बाद डॉक्टर नाप लेकर आपकी cap बनवाने के लिए देंगे । और जब वह बनकर तैयार हो जाएगी तब आपको चौथी सेटिंग के लिए बुलाएंगे। उसमें 8 से 12 दिन तक भी लग सकते हैं।

चौथी बार जब डॉक्टर आपको बुलाएंगे तब दांत पर कैप बिठाएंगे। कैप के अंदर एक प्रकार का ग्लू या चिपकने वाला पदार्थ डालते हैं। और उससे दांत के ऊपर कैप बिठाते हैं। cap बिठाने के बाद दो-तीन घंटे के बाद आप हल्का आहार ले सकते हैं । तीसरी दूसरी औरतों की सेटिंग को anaesthesia नहीं दिया जाता। बिगर भूल दिए ही काम किया जाता है।

लेकिन रूट कनाल करने के बाद आपको कुछ बातों का ख्याल रखना होगा । कुछ प्रिकॉशंस को ध्यान में रखना होगा। तभी आपका दांत और कैप दोनों लंबे समय तक रहेंगे। रूट कैनाल में नर्वस और ब्लड वेसल्स पूरी तरह से निकाले जाते हैं ।

इसी वजह से दांत में जान नहीं रहती वह बेजान हो जाता है। उससे दांत टूटने फूटने की आशंका होती है। अगर आप कोई कठिन पदार्थ उस साइड से खाएंगे तो दांत टूट भी सकता है। कठिन पदार्थ यानी गन्ना अक्रोड हड्डी माउंस, meat उस साइड से नहीं खा सकते ।

आप चिपकने वाले पदार्थ भी नहीं खा सकते । जैसे कि चिंगम, चिक्की । उससे क्या होता है कि कैप चिपक कर बाहर आ सकती है । तो आपको कठिन और चिपकने वाले पदार्थ भी नहीं खाने हैं। यह आपको पूरी तरह से ध्यान में रखना होगा।

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