Sunstroke meaning in hindi

Sunstroke meaning in hindi

Sunstroke meaning in hindi – अप्रैल, मई और जून एक गर्मी के महीने होते हैं।  अभी गर्मी का मौसम चल रहा है। पहले हमारे यहाँ  कभी भी टेंपरेचर 39 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाता था।  लेकिन हाल ही के कुछ सालों में 41 डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है। कुछ-कुछ शहरों में तो 48 डिग्री सेल्सियस तक तापमान जाता है।
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Sunstroke meaning in hindi

इस भयंकर गर्मी में हिट स्ट्रोक, सनस्ट्रोक, हिंदी में से लू लगना भी कहते हैं। इसका खतरा बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है। हीटस्ट्रोक sun stroke एक मेडिकल इमरजेंसी है। यह जानलेवा भी हो सकती है। आपने पढ़ा होगा कि बहुत सारे लोगों की मौत heat stoke  की वजह से होती है।

तो आपके लिए लू लगना, हीट स्ट्रोक के बारे में के लक्षणों के बारे में पूरी तरह से पता होना चाहिए। अगर आप के आस पास ऐसा कोई भी पेशेंट दिखाई दे तो आप उस पर प्रथमोपचार, फर्स्ट ऐड, कर सके ताकि उस पेशेंट की जान बच जाए।

लू लगने के लक्षण। symptoms of heat stroke 

इसमें  में भी दो प्रकार होते हैं। पहला हीट एग्जॉशन heat exhaustion और दूसरा sunstroke। बाॅडी  का नार्मल टेंपरेचर होता है 37 डिग्री सेल्सियस।  जब यह बढ़कर 38 से 40 डिग्री सेल्सियस हो जाता है, तो उसे हीट एग्जॉशन कहते हैं।

Symptoms of heat exhaustion 

 इसमें लक्षण क्या-क्या होते हैं? पहला लक्षण है कि, बहुत ही ज्यादा पसीना आता है तो शरीर का पानी कम होने की वजह से चक्कर आता है।  हेडेक यानी  की सिरदर्द। एसिडिटी nausea and vomiting यानी की उल्टी आना। पानी कम होने की वजह से बीपी कम हो जाता है।  पल्स रेट, हार्ड रेट बढ़ जाता है।

Sunstroke in hindi symptoms । उष्माघात के लक्षण। 

 सन स्ट्रोक के लक्षण – इसमें हीट एग्जॉशन के सारे लक्षण दिखाई देते हैं। उसके साथ-साथ कुछ ज्यादा लक्षण होते हैं, अगर ज्यादा देर तक हीट एग्जॉशन जैसी स्थिति बनी रही और उससे भी ज्यादा शरीर का टेंपरेचर बढ़ गया। यानी अगर 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 41 डिग्री सेल्सियस तक बॉडी टेंपरेचर हो गया तो हिट स्ट्रोक होता है।

उसमें मेंटल कन्फ्यूजन, मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। पेशंट कुछ भी बोलने लगता है, उसे आप क्या बोल रहे हैं यह समझ में नहीं आता। अनकॉन्शियस unconcious state पेशंटला वह बेहोश हो जाता है।

लू लगने पर घरेलु उपचार 

5 साल से कम के बच्चों में और 60 साल के ऊपर के बूढ़ों में इसकी  की संभावना बहुत ही ज्यादा होती है। अगर यह लक्षण आपको किसी परशन में दिखाई दे तो आपको फर्स्ट ऐड पेनी प्रथमोपचार क्या-क्या करना चाहिए?  पहले तो head low हेड लो पोजीशन दीजिए ।इसका मतलब सिर नीचे होना चाहिए बॉडी लाइन से । पेशेंट को सुला दीजिए और उसको बिठाए नहीं। पैर ऊपर कीजिए और सिर पैरों के लेवल से नीचे होना चाहिए।पेशेंट के शरीर के ऊपर कम से कम कपड़े रखे। जितना हो सके उतना कपड़े निकाल दीजिए।

उसके पूरे शरीर पर ठंडा पानी पानी डालिए। ठंडे पानी से बार-बार शरीर पोछ लीजिए। फैन, कूलर और एसी शुरू कीजिए और उसकी हवा पेशंट की तरफ कीजिए। पेशेंट को होश में आते ही ज्यादा से ज्यादा पानी, जूस, कोल्ड ड्रिंक्स, नींबू शरबत, कोकम शरबत यानी पतले और तरल पदार्थ दीजिए।उसके बाद पेशेंट को किसी फैमिली डॉक्टर के पास में दिखा लीजिए।

अगर इतना प्रयास करने के बावजूद भी वह पेशंट होश में नहीं आ जाए , या होश में आते हुए भी मेंटली कन्फ्यूज्ड , हो कुछ भी बोलता हो, irritable इरिटेबल हो, violent वायलेंट हो,  तो देरी बिल्कुल ही मत कीजिए उसे अस्पताल में ही एडमिट कीजिए।
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