Normal vs cesarean delivery in hindi

Normal vs cesarean delivery in hindi

Normal vs cesarean delivery in hindi – अब शादी ब्याह का मौसम चल रहा है । शादी के बाद क्या होता है तो प्रेगनेंसी और प्रेगनेंसी के बाद डिलीवरी । तो माताओं के मन में एक प्रश्न आता है कि डिलीवरी कौन सी करनी चाहिए नार्मल या फिर सीजर । यह प्रश्न आम आदमी के मन में भी आता है ।आजकल सिजेरियन डिलीवरी का प्रमाण काफी बढ़ गया है।

तो आज के इस पोस्ट में हम देखेंगे कि नॉर्मल डिलीवरी कब करनी चाहिए और सिजेरियन डिलीवरी कब करनी चाहिए । नार्मल और सिजेरियन डिलीवरी के फायदे और नुकसान कौन-कौन से होते हैं। दोनों में से कौन से डिलीवरी अच्छी है। नाॅर्मल डिलिवरी के लिए क्या करें।

Cesarean delivery kab karni chahiye

पहले हम देखेंगे कि इस सिजेरियन डिलीवरी कब करनी चाहिए ?

Fetal distress- पहला है फेटल डिस्ट्रेस – जब बच्चा पेट में ही आत्यवस्थ हो जाता है। उसे फिटल डिस्ट्रेस कहा जाता है । फेटल डिस्ट्रेस का पता कैसे लगेगा? मां को बच्चे की हर एक हलचल पेट में महसूस होती है। फेटल डिस्ट्रेस नौवें महीने में या फिर उसके अंत में पाया जाता है । जब नवा महीना शुरू होता है तब अचानक से अगर माता को बच्चे की हलचल कम लगने लगे, या फिर बच्चे की हलचल लगना बंद हो ,तो उसे तुरंत ही डॉक्टर को दिखा देना चाहिए।

तब डॉक्टर क्या करेंगे कि बच्चे की ऑक्सीजन लेवल चेक करेंगे और उसका हार्टबीट भी चेक करेंगे । अगर बच्चे की ऑक्सीजन लेवल बहुत ही कम हो और हार्टबीट अचानक से ऊपर जाता हो और अचानक से ही कम होता हो । तो यह इमरजेंसी सिचुएशन है। इसमें सीजर करना पड़ेगा।

Oligohydramnios- यानी बच्चे के आजू-बाजू का पानी कम हो जाना.। इसमें क्या होता है की युटेरस गर्भाशय के अंदर यानी पिशवी के अंदर का पानी कम हो जाता है । तो बहुत ही के सेस में सिजेरियन सेक्शन डिलीवरी करनी पड़ती है।

Previous LSCS – प्रीवियस एलएससीएस – अगर पहले बच्चे के वक्त सिजेरियन डिलीवरी किया हो तो दूसरे बच्चे के वक्त भी सीजर ही करना होगा।

चौथा है malpresentation माल प्रेजेंटेशन – नॉर्मल डिलिवरी मे बच्चे का सिर पहले बाहर आना चाहिए। यानी बच्चे का सिर आगे होना चाहिए। कुछ केस में बच्चा पेट में ही घूम जाता है। और उसका पैर आगे आता है ,कुछ केस में पेट आगे आ जाता है। कुछ कैसेस में पेट बच्चे का पेट आगे आता है। इन सभी केस में नॉर्मल डिलीवरी करना मुश्किल हो जाता है।

Pid – एनी पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज- इस बीमारी में गर्भाशय का इंफेक्शन हो जाता है । इसकी वजह से माता के पेट में दुखता है। उसे बुखार आता है ठंड लगती है । इसके डायग्नोसिस में सोनोग्राफी करनी चाहिए। सोनोग्राफी के बाद ही pid कंफर्म होता है।

एपीएच APH – अ इसमें क्या होता है कि प्रेगनेंसी के डेट से पहले 10-15 दिन या फिर एक महीना पहले अचानक से bleeding शुरू हो जाता है। अचानक से लेडीस के प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग आना शुरू होता है । अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो रही हो और आप डॉक्टर को दिखाएंगे। डॉक्टर आपको bleeding रुक जाने की औषधी देंगे। और उन औषधियों से भी bleeding रुक नहीं रहा है । तब आपको इमरजेंसी में सिजर करना ही होगा।

मल्टीपल प्रेगनेंसी – यानी कि ट्विंस twins होना। एक से ज्यादा बच्चे अगर एक साथ पेट में हो । दो-तीन बच्चे तो नॉर्मल डिलीवरी पॉसिबल नहीं होती।

मेडिकल डिसऑर्डर – कुछ माताओं में प्रेगनेंसी में बीपी बहुत ही ज्यादा बढ़ता है ।कुछ माताओं में पहले से ही डायबिटीज थाइरॉएड या फिर एपिलेप्सी यानी फीट आना ऐसी बीमारियां होती है ।तो उस कंडीशन में सिजेरियन सेक्शन डिलीवरी ही सबसे बेस्ट है।

कुछ कैसे इसमें 9 महीने 9 दिन होने के बाद भी पेट में दुखता नहीं है। लेबर पेन शुरू नहीं होता । कुछ माता छोटी होती है उनकी हाइट बहुत ही कम होती है । कुछ माताओं में गर्भाशय में fibroids पाया जाता है। फाइब्रॉयड यानी गांठ। जिनके पहले ही तीन-चार नॉर्मल डिलीवरी हो गई हो और अभी पाचवी डिलीवरी हो। तो उन सब केसेस में सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ती।

Normal delivery in hindi

ऊपर की कोई भी प्रॉब्लम नहीं हो और मां और बच्चे दोनों ही स्वस्थ हो, तो नॉर्मल डिलीवरी ही करनी चाहिए । वैसे तो हंड्रेड केसेस में 90 केस इसमें कोई भी प्रॉब्लम नहीं हो सकती और 90 केस में नार्मल डिलीवरी हो सकती है। सिर्फ 10 केसेस में ही ऊपर के प्रॉब्लम आ सकते हैं। उनमें सीजर डिलीवरी करनी पड़ सकती है।

पर अब ऐसी कंडीशन है कि 50% तक सीजर डिलीवरी होती है और 50% नॉर्मल डिलीवरी होती है । सीजर डिलीवरी की संख्या बढ़ गई है । इसका कारण क्या है? पहले तो कुछ डॉक्टर मैंने कहा कुछ डॉक्टर, पैसा कमाने के लिए ऐसा करते है।

सीजर डिलीवरी में ज्यादा पैसा मिलता है नॉर्मल डिलीवरी में कम मिलता है । दूसरा कुछ लेडीस क्या कहते कि हमें लेबर पेन सहन नहीं करना है । इसलिए हम नॉर्मल डिलीवरी नहीं करेंगे । हम सीजर ही करेंगे ।इन दोनों कारणों से भी सीजर डिलीवरी की संख्या बढ़ी हुई है।

Normal vs cesarean delivery in hindi

तो यह प्रश्न आता है कि डिलीवरी कौन सी अच्छी ? नॉर्मल या सीजर । हमें कौन सी डिलीवरी करनी चाहिए ? तो 90% केस में जिधर कोई भी प्रॉब्लम नहीं है, माता और बेटी बेटी को ,तो नॉर्मल डिलीवरी ही करनी चाहिए । उन सब केस में नॉर्मल डिलीवरी ही अच्छी है । किसी भी डॉक्टर को पैसा कमाने के लिए या फिर किसी भी माता को लेबर पेन से बचने के लिए सीजर डिलीवरी नहीं करनी चाहिए।

लेकिन 10 परसेंट में ऊपर का कोई भी प्रॉब्लम हो , तो सीजर डिलीवरी ही करनी चाहिए। वही सबसे बेस्ट है। पहले क्या होता था कि डिलीवरी के दौरान माता की मौत हो जाती थी। कई डिलीवरी के बाद माता की भी मौत हो जाती थी। या फिर पेट में भी बच्चा मर जाता था। उन सभी केसेस में ऊपर का कोई ना कोई प्रॉब्लम होता था।

लेकिन जब से सीजर डिलीवरी आई है , तब से माता मृत्यु और बाल म्रुत्यु के प्रमाण दोनों ही बहुत ही घट गए हैं। तो सबसे बेस्ट नॉर्मल डिलीवरी है । नॉर्मल डिलीवरी का ही प्रयास करना चाहिए। अगर कोई प्रॉब्लम हो तो ही सीजर डिलीवरी करनी चाहिए। अगर डॉक्टर आपको बोलेंगे सीजर डिलीवरी करनी चाहिए तो आप दो और डॉक्टर की राय ले सकते हैं । अगर दूसरे दो डॉक्टर भी बोले कि सीजर करना जरूरी है तभी आपसे सिजर करें।

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