Precautions during epilepsy attack in hindi

Precautions during epilepsy attack in hindi

Precautions during epilepsy attack in hindi – हमारे आजू-बाजू में मिर्गी के पेशेंट बहुत पाए जाते हैं । इसे साइंटिफिक भाषा में epilepsy आना कहते हैं। मिर्गी बहुत ही डेंजरस बीमारी है। इसका अटैक कभी भी और कहीं भी आ सकता है।

यह पेशंट को बहुत नुकसानदायक होता है मिर्गी आते वक्त पेशेंट को कुछ भी पता नहीं होता । वह अपने सुध बुध खो देता है । वह कहीं भी गिरता पड़ता है । उस वक्त पेशेंट को बहुत सारे जख्म हो जाते हैं।

उस वक्त अगर कोई उस पेशेंट का सही से ध्यान रखे , तो उसकी इन तकलीफ काफी हद तक कम की जा सकती है । तो आज के इस आर्टिकल में मैं आपको बताऊंगा कि मिरगी आने के बाद आपको पेशेंट का किस तरह खयाल रखना है ।

precautions during epilepsy attack in hindi । मिर्गी आने पर क्या करें ।

मिर्गी आने के बाद आप क्या प्रथमोपचार कर सकते है। आपको क्या करना है और क्या नहीं करना है। तो चलिए आर्टिकल शुरू करते हैं।

जब मिरगी आती है तो पेशंट अपने हाथ पैर को जोर से हिलाने लगता है। अपने हाथों और पैरों को एकाएक पटकने लगता है । मुंह से पानी आने लगता है । कुछ कैसेस में पेशेंट अपनी जीभ को जोर से चबाता है । और सांस लेना रोक भी सकता है । मुंह से सफेद झाग भी आता है ।

अगर ऐसे लक्षण आपको किसी व्यक्ति में दिख जाए तो समझ लेना यह एपिलेप्सी यानी मिर्गी का पेशेंट है । तो तुरंत ही उसे लेफ्ट लैटरल पोजिशन में सुलाएं। Left lateral position यानी पेशट को उसकी बाईं तरफ मुंह करके सुलाईए । क्योंकि इस समय paitiont उल्टी कर सकता है और वह उल्टी छाती में भी जा सकती है । उसे निकल भी सकता है। इससे निमोनिया होने के चांसेस होते हैं।

पेशेंट के मुंह में एक कपड़े से लिपटा हुआ छोटा लकड़ी का टुकड़ा डाले। उससे जीभ का कटना बंद हो जाता है । लकड़ी के छोटे टुकड़े के बजाय आप दूसरी कोई भी वस्तु कपड़े में लिपट कर उसके मुंह में दे सकते हैं। पेशेंट को कोई सुरक्षित जगह ले जाए । एक मिर्गी का दौरा 5 मिनट तक रहता है। उसके बादअपने आप ठीक हो जाएगा।

लेकिन आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना पड़ेगाा । पेशेंट को पानी बिल्कुल भी मत पीलाइए। क्योंकि पानी श्वास नली में जाकर सांस लेना बंद हो सकता है । मुंह को प्याज और चप्पल लगाने की बहुत पुरानी पद्धत है । ऐसा बिल्कुल ही ना करें । इससे कोई भी फायदा नहीं होता ।

हाथ पैरों को जोर से पकड़ कर उसकी हलचल रोकने का प्रयास ना करें । 5 मिनट में अगर मिर्गी का दौरा कम नहीं हुआ , या फिर बार-बार वापस से तीन-चार बार लगातार दौरा पड रहा हो , तो तुरंत ही पेशेंट को अस्पताल ले जाए। हर बार पेशेंट को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं। अगर 5 मिनट में पेशेंट अपने अपने आप ठीक हो जाए तो उसे अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं है।

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